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ग़ैर के घर में टहलती है कहो कैसे हँसूं
शान से महलों में पलती है कहो कैसे हँसूं
करके ईमानों को बेघर बेईमानी आजकल
शान से महलों में पलती है कहो कैसे हँसूं
ज़िन्दगानी हाथ मलती है कहो कैसे हँसूं
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