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ओ मेरे सोना रे ! सोना रे ! सोना रे!दे दूंगी दूँगी जान जुदा मत होना रे(मैने तुझे ज़रा देर में जानाहुआ कुसूर खफ़ा ख़फ़ा मत होना रे ) \- २ओ मेरे सोना रे ! सोना रे ! सोना रे!
ओ मेरी बाँहों से निकलके
ओ मेरे ...
मियां मियाँ हमसे न छिपाओवो बनावट कि सारी अदाएं लियेअदाएँ लिए
कि तुम इसपे हो इतराते
कि मैं पीछे हूँ सौ इल्तिज़ाएं लियेइल्तिज़ाएँ लिएजी मैं खुश ख़ुश हूँ मेरे सोना
झूठ है क्या, सच कहो ना
कि मैं भी साथ रहूँगी रहोगे जहाँ
नहीं लट और उलझन में पड़ जाएगी
ओ पछताओगी कुछ ऐसे
कि ये सुरखी सुर्ख़ी लबों की उतर जाएगी
ये सज़ा तुम भूल न जाना
प्यार को ठोकर मत लगाना
कि चला जाऊंगा जाऊँगा फिर मैं न जाने कहाँ
ओ मेरे ...
</poem>
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