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कुछ मुक्तक / जगन्नाथ त्रिपाठी
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05:55, 8 दिसम्बर 2011
आँख से छलके न जो उस अश्क की कीमत होती है।
हद्य
ह्रदय
रखता हूँ इसी से यह
घडकन
धडकन
है, ऐ दोस्त।
प्यार करता हूँ इसी से यह तड़पन है, ऐ दोस्त।
ज़िन्दगी बदनाम न हो जाय साँस के व्यापार में ‘जलज’
आशीष
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