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|रचनाकार=शिवदीन राम जोशी
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पूजा पत्री प्रेम की मन मूरत, प्रेम की माला ठीकसूरत, प्रेम प्यार परमात्मा मार्ग भक्ति का नीक।मार्ग भक्ति का नीक प्रेम दे उर में दाताही ईश्वर, लक्ष्य हमारो,बढे प्रेम के संग व प्रेम उमंग से प्रेम, प्रेम है भाग्य विधाता।की गंग में स्नान संवारो।शिवदीन प्रेम ही है प्रभुका हार व प्रेम शृंगार से, संत प्रेम का रूपकी पूजन और चितारो,प्रेमप्रभु से रच्यो शिवदीन, सदा दिल में यह प्रेम से दे जना, साधु सत्य स्वरूप।राम गुण गायरे।विचारो।
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