गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
वह भी आदमी है / रमेश रंजक
294 bytes added
,
14:42, 14 दिसम्बर 2011
इक ग़रीबी के सिवा इस आदमी में क्या कमी है ?
भेद यह बोया गया है
महल की चालाकियों से
और फैलाया गया, कुछ
पालतू बैसाखियों से
इसलिए ईमान की असहाय आँखों में नमी है
</poem>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits