रू-ब-रू फिर से सरे-रहगुज़र आ गए
सुबह-ए-फ़र्दा <ref>कल की सुबह </ref> को फिर दिल तरसने लगा
उम्र-रफ़्तः<ref>गतिमान उम्र</ref> तेरा ऐतबार आ गया
रुत बदलने लगी रंजे-दिल देखना
'फ़ैज़' क्या जानिए यार किस आस पर
मुन्तज़िर हैं कि लाएगा कोई ख़बर
मयकशों पर हुआ मुहतसिब <ref>शासक</ref> मेहरबान
दिलफ़िगारों पे क़ातिल को प्यार आ गया
==शब्दार्थ ==
<references/>