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जब मैं तुम्हें / रघुवीर सहाय
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19:05, 18 दिसम्बर 2011
निश्चय ही तुम में लीन हो जाती होगी ।
तुम उस का क्या करती हो मेरी
लाडली--
लाडली—
--अपनी
—अपनी
व्यथा के संकोच से मुक्त होकर
जब मैं तुम्हे प्यार करता हूँ ।
</poem>
अनिल जनविजय
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