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पाँच मुक्तक / बालस्वरूप राही
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08:15, 27 दिसम्बर 2011
1.
मेरा
विशवास
विश्वास
पराजय को ज़हर होता है
मेरा उल्लास उदासी को क़हर होता है
मुझे घिरते हुए अँधियारे की परवाह क्या
अनिल जनविजय
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