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चल पड़े हैं तो कहीं जाकर ठहरना होगा / मख़्मूर सईदी
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19:30, 30 दिसम्बर 2011
अब किसी जुर्म का इक़रार तो करना होगा
<poem>
'''शब्दार्थ :
आज़ार=रोग; जिस्मो-जाँ=शरीर और आत्मा; क़ातिले-शहर=शहर के क़ातिल; मुख़बिर=ख़बर देने वाले; दरो-दीवार=दीवार और दरवाज़े।
Tripurari Kumar Sharma
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