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21:18, 23 जनवरी 2012 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=मनु भारद्वाज
|संग्रह=
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<Poem>
मरने नहीं देते मुझे हालात वगरना
मैं छोड़ देता ज़िन्दगी का साथ वगरना
महफ़िल में मेरे सामने खुलकर रोइए
चेहरे पे उभर आयेंगे जज़्बात वगरना
दिल टूटने के बाद भी आँसू नहीं गिरे
ले जाती बहाकर तुम्हें बरसात वगरना
तुमने ही जाते-जाते सभी ख़त जला दिए
कट जाती मेरी चैन से हर रात वगरना
ऐ वक़्त ! मुझे कोई सहारा नहीं मिला
मैं तुझको दिखाता तेरी औक़ात वगरना
हमने भी नुमाइश न करी अपने दर्द की
दुनिया तो बना देती है सौ बात वगरना
खैरात का फ़न हमने 'मनु' सीखा नहीं था
हम पा ही जाते ऐश की सौगात वगरना</poem>