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बारिश / सुधीर सक्सेना
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08:01, 8 फ़रवरी 2012
तुम मेरी उँगलियों से
और मैं तुम्हारी उँगलियों से
छुऊँ
बारिश्की
बारिश की
बूँद
देखो ! चमक रही है बिजली
सुनो ! गरज रहे हैं मेघ
औचक किसी भी पल झर सकती हैं बूँदें
</poem>
अनिल जनविजय
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