गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
वन्दना / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान
No change in size
,
16:29, 28 फ़रवरी 2012
शब्द को संबल बनाकर नील नभ सा मान दो।
नत
नित
करूं पूजन तुम्हारा
प्राण में यह भावना दो,
तिमिर दंशित मन गगन को
भाव मंडित गीत हों, नव
शिल्प का पारस परस कर,
अर्थबल से युक्त
हों
हो
हर
शब्द अपने को सरस कर,
Sheelendra
66
edits