बीसवीं शती के प्रारंभ में भारतीय प्रगतिशील लेखकों का एस समूह था। यह लेखक समूह अपने लेखन से सामाजिक समानता का समर्थक करता था और कुरीतियों अन्याय व पिछड़ेपन का विरोध करता था। इसकी स्थापना १९३५ में लंदन में हुई।
सज्जाद ज़हीर ने [[प्रेमचंद ]] के साथ प्रगतिशील संगठन के घोषणापत्र पर खुलकर बात-चीत की. सभी ने घोषणापत्र पर हस्ताक्षर कर दिए। विकास और अवसानदेखते-देखते सम्पूर्ण देश में प्रगतिशील लेखक संगठन की शाखाएँ फैलने लगीं। उस समय के प्रसिद्ध लेखक प्रेमचंद और [[जैनेन्द्र ]] इसमें शामिल हुए। इस अधिवेशन में प्रेमचंद का अध्यक्षीय भाषण जब हिन्दी में रूपांतरित हुआ तो हिन्दी लेखकों की प्रेरणा का स्रोत बन गया। लखनऊ अधिवेशन में कई आलेख पढ़े गए जिनमें [[अहमद अली]], [[रघुपति सहाय]], मह्मूदुज्ज़फर और [[हीरन मुखर्जी ]] के नाम उल्लेख्य हैं।
==लखनऊ अधिवेशन==