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अपने होने का सुबूत / कृष्ण बिहारी 'नूर'
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09:52, 9 मार्च 2012
मरने वालों को भी मिलते नहीं मरने वाले
मौत ले
जी
जा
के खुदा जाने कहाँ छोड़ती है
ज़ब्त-ए-ग़म खेल नहीं है अभी कैसे समझाऊँ
देखना मेरी चिता कितना धुआँ छोड़ती है
Purshottam abbi "azer"
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