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22:25, 11 मार्च 2012 {{KKRachna
|रचनाकार=मनु भारद्वाज
|संग्रह=
}}
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<Poem>
प्यार में इससे ज़ियादा क्या देगी
हद से हद तू मुझे रुला देगी
प्यार तेरा कुबूल कर तो लूँ
तू तो एहसान भी जता देगी
मेरी मजबूरियाँ न समझेगी
जानता हूँ कि बद्दुआ देगी
रोज़ आएगी मेरे ख्वाबों में
मेरे ज़ख्मों को फिर हवा देगी
हमने माना कि दिल तो टूट गया
ज़िन्दगी जीना भी सिखा देगी
ऐ 'मनु' गम से दोस्ती कर लो
ये ख़ुशी सिर्फ दर्द सा देगी</poem>