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22:41, 11 मार्च 2012 {{KKRachna
|रचनाकार=मनु भारद्वाज
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<Poem>
चल दिए करके दिल्लगी मुझसे
आपकी क्या थी दुश्मनी मुझसे
मैंने ख़ुशियों की जुस्तजू की थी
है ख़फ़ा अब ये ज़िन्दगी मुझसे
हमको लूटा है बागबानों ने
कह रही है कली-कली मुझसे
आह, गम . दर्द. कसक. तन्हाई
कितना खेलेगी ज़िन्दगी मुझसे
मैंने इतना कहा कि मुफलिस हूँ
दूर जा बैठे आप भी मुझसे
याद है उनका 'मनु' ये कहना-
'बात करना नहीं कभी मुझसे'</poem>