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<poem>
बज उठी घंटी
 
बज उठी
घंटी अचानक फ़ोन की
प्रेम की बाती मधुर जलने लगी
मौन पिघला बर्फ़ की शहतीर-सा
दूर होने लगा लग गए शिकवे-गिले ।
मन पटल पर
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