गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
उसका खाता / अवनीश सिंह चौहान
3 bytes removed
,
15:27, 18 मार्च 2012
<Poem>
फटे बांस में
पैर अड़ा कर
चलता था उसका खाता
इसे डराए
उसे सताए
बनाता
बनता
सबका तारनहार
किससे कितना
बाहुबली था
राजनीति में-
पाँव जमाकर
छोडी
छोड़ी
छाप
बना सरगना
अपने दल का
राम नाम सत
आया जल्दी
माटी उसका था खाता
</poem>
Abnish
273
edits