{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=मजाज़ लखनवी }}[[मजाज लखनवीCategory: शेर]]<poem>(1)इश्क का जौके-नजारा <sup>1</sup> मुफ्त को बदनाम है,
हुस्न खुद बेताब है जलवा दिखाने के लिए।
1.जौके-नजारा - देखने का शौक
***** (2)
कहते हैं मौत से बदतर है इन्तिजार,
मेरी तमाम उम्र कटी इन्तिजार में।
*****(3)
कुछ तुम्हारी निगाह काफिर थी,
कुछ मुझे भी खराब होना था।
***** (4)
खिजां के लूट से बर्बादिए-चमन तो हुई,
यकीन आमादे -फस्ले-बहार <sup>2</sup> कम न हुआ।(5)
1.आमादे-फस्ले-बहार - वसन्त ऋतु का आगमन मुझको यह आरजू है वह उठाएं नकाब <sup>3</sup> खुद,उनकी यह इल्तिजा <sup>4</sup> तकाजा <sup>5</sup> करे कोई।</poem> 1.जौके-नजारा - देखने का शौक2.आमादे-फस्ले-बहार - वसन्त ऋतु का आगमन3.नकाब - घूँघट, मुखावरण, मुखपट 24.इल्तिजा - प्रार्थना, दरखास्त35.तकाजा - माँग, फर्माइश ***** बहुत मुश्किल है दुनिया का संवरना,तेरी जुल्फों का कोई पेचोखम नहीं है। 1. पेचोखम - (i) टेढ़-मेढ़, चक्कर, जटिलता (ii) ऊंच-नीच ***** हाय वह वक्त कि बेपिये बेहोशी थी,हाय यह वक्त कि पीकर भी मख्मूर नहीं। 1. मख्मूर - नशे में चूर, उन्मत्त, मदोन्मत्त