सूरदास जसुमति सुख पावति पौढ़े बालगोबिन्द ॥<br><br>
भावार्थ :-- बलराम और श्यामसुन्दर दोनों भाई अलसा गये (आलस्यपूर्ण हो गये) हैं, थोड़ा-थोड़ा भोजन करके उन्होंने दूध पी लिया, तततब माताने तब माता ने देखा कि उन्हें जम्हाई आ रही है (अतः इन्हें अब सुला देना चाहिये) । `लाल उठो !'यह कहकर उनका मुख धुलाया; फिर कहा-` आओ, तुम्हें (पलंगपरपलंग पर) लिटा दूँ;तुम सोओ, मैं कुछ मधुर स्वरसे स्वर से गाकर तुम्हे सुलाऊँ ।' दोनों भाई तुरन्त ही जाकर लेट गये, लेटते ही उन्हें निद्रा आ गयी । सूरदासजी सूरदास जी कहते हैं कि बालगोविन्दको बालगोविन्द को सोते देख माता यशोदा आनन्दित हो रही हैं ।