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भाव-कलश (ताँका-संग्रह) / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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14:28, 16 अप्रैल 2012
हैं बबूल बहुत
कम यहाँ चन्दन ।'''
बस एक आसान -सा काम तुझे करना है , नफरत को विदा कर , ताकि ईद का चाँद तेरे मन-आकाश को प्रतिदिन रौशन करता रहे। इस [[ हाइकु। ताँका]]में ईद के चाँद का सांस्कृतिक प्रयोग देखने योग्य है -
'''ईद का चाँद
हर रोज़ बढ़े ज्यों,
वीरबाला
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