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अलबम / पवन करण
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20:42, 22 अप्रैल 2012
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<poem>
यह कविता पवन करण की
’बूधई
’बूढ़ी
बेरिया’ कविता का ही नया रूप है।
एक अकेली वीरान औरत के पास
अनिल जनविजय
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