सूरदास तब कहति जसोदा गर्ग कही यह बानी ॥<br><br>
श्रीयशोदा श्री यशोदा रानी नन्दजी नन्द जी से कहती हैं - ` मिट्टीके मिट्टी के बहाने कन्हाई ने अपना मुख खोलकर खोल कर दिखलाया; पर उसमें तो तीनों लोकों की राजधानियाँ ही नहीं, अपितु स्वर्ग, पाताल, पृथ्वी, वन, पर्वत--सभी आकर बस गये हैं । मैं तो नदियाँ और सुमेरु पर्वत (मुखमेंमुख में) देखकर आश्चर्यमें आश्चर्य में पड़ गयी, इस मोहनकी मोहन की तो कथा ही अवर्णनीय है ।' (यह बात सुनकरसुन कर)श्रीनन्दजी पत्नीके मुखकी श्री नन्द जी पत्नी के मुख की ओर देखते रह गये और मन-ही-मन सोचने लगे-`यह नासमझ है ।' सूरदासजी सूरदास जी कहते हैं कि तब यशोदाजी यशोदा जी ने कहा-`महर्षि गर्ग ने भी तो यही बात कही थी (कि कृष्णचन्द्र श्रीनारायणका श्री नारायण का अंश है ) ।'