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[[ रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' ]]' और डॉ0 [[भावना कुँअर ]] ने इस संकलन का सम्पादन किया है । दोनों ने ताँकाकारों का मनोबल बढ़ाकर उनको और अच्छा लिखने की प्रेरणा दी है । आपका मानना है कि इस जग में बबूल ज्यादा हैं और चन्दन कम है, इसीलिए ओ मेरे मन तू गम न करना -
'''दु:ख न कर
मेरे पागल मन
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