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चाँदी की नावसोने के डाँड लगेरेत में धँसी ।2नींद खुमारीसिरहाना न मिलापत्थर सही ।3हमसफ़र मेरे गुन न गिनेखोट हि देखे ।4मैं दूर्वा भली उजाड़ खण्डहरकहीं भी पली ।5तुम दूध थे मिली बनके पानीसदा ही जली ।6बन्दिनी मैना सोने की सलाखों मेंरूठे हैं गीत ।7फेन , तिनकेमाथे धरे सागररत्न डुबा दे ।8नाज़ुक फूल सँकरे गुलदानजान पे बनी ।9लिखते पेड़ हरियाले काग़ज़प्रेम की पाती । 10 कहीं न कहींहम सब बेचारे दर्द के मारे ।11मैं तो खुशबूहवाओं में समाऊँजग महके ।12छतों की शाम वो दालान की धूप सपना हुई ।
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