संज्ञा से आज सर्वनाम हुए हम
यूं ही बदनाम हुए हम !!
दुख नहीं तो सुख कैसा सुख नहीं तो दुख कैसा
सुख है तो दुख भी है, दुख है तो सुख भी है
दुख सुख का अजब संग
अजब रंग अजब ढंग
दुख तो है सुख की विजय का परचम
यूं ही बदनाम हुए हम !!
कविता के अक्षरों में व्याकुल मन की पीड़ा है
उनके लिए तो कवि-कर्म शब्द-क्रीडा है
शोषित बन जीते हैं
नित्य गरल पीते हैं
युग की विभीषिका के नाम हुए हम
यूं ही बदनाम हुए हम !!