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गिलहरी / जगदीश व्योम
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16:17, 21 मई 2012
करके उसे डराती।
गिलहरी दिनभर आती-जाती।।
भोली-भाली बहुत लजीली
छोटी-सी प्यारी शरमीली
देर तलक शीशे से चिपकी
बच्चों से बतलाती।
गिलहरी दिनभर आती-जाती।।
</poem>
डा० जगदीश व्योम
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