'''अच्छे शिक्षक, कवि सुदर्शन व्यक्तित्व और मनुष्य थे यथार्थ के खुरदुरे धरातल के कवि [[भगवत रावत]]'''
इंदौर[[भवगत रावत]] का हमारे बीच से इस तरह चले जाना अप्रत्याशित नहीं था। पर, २८ यह अजीब है कि इस बात पर विश्वास नहीं होता। 26 मई २०१२. सुबह भोपाल में उनका देहावसान हो गया। सुदर्शन व्यक्तित्व और यथार्थ के खुरदुरे धरातल के कवि भगवत रावत अपनी मुलाकातों में प्रेम और रिश्तों की गर्माहट से इस कदर भरे पूरे थे कि इस बात की कल्पना सहज ही नहीं की जा सकती थी, इनकी एक किडनी ने काम करना बंद कर दिया है और दूसरी भी पूरी तरह से ठीक नहीं है।
उनकी जिजीविषा अद्भुत थी. कोई कष्ट और बीमारी उनके जीने के हौसले को कम नहीं कर सकी. साहित्य उनके लिए लोगों को जानने और जीवन के नज़दीक होने का
अपने पक्के मकान की तरफ,
तब वे लोग,
इसी सड़क के किनारे गा रहे होंगे।''
देखो तुम्हारे रथ के घोडे बाहर हिनहिना रहे हैं,
सारी तैयारी है, बड़े-बड़े लोग परेशान हैं,
तुम्हारे गुण गाने को,