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प्रेमपत्र को विदाई / अलेक्सान्दर पूश्किन
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10:09, 6 जून 2012
वह तैर रहा था हवा में, मैं कर रहा था दुआ
लिफ़ाफ़े पर मोहर लगी थी तुम्हारी अंगूठी की
लाख पिघल रही थी
ऎसे
ऐसे
मानो हो वह रूठी-सी
फिर ख़त्म हो गया सब कुछ, पन्ने पड़ गए काले
अनिल जनविजय
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