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देखो-सोचो-समझो / भगवतीचरण वर्मा
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16:26, 11 जून 2012
|रचनाकार=भगवतीचरण वर्मा
}}
<poem>
देखो, सोचो, समझो, सुनो, गुनो औ' जानो<br>
इसको, उसको, सम्भव हो निज को पहचानो<br>
जब-जब थक कर उलझो, तब-तब लम्बी तानो ।<br><br>
</poem>
Dr. ashok shukla
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