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मुँह तका ही करे है जिस-तिस का / मीर तक़ी 'मीर'
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05:18, 17 जून 2012
शाम ही से बुझा-सा रहता है
दिल हो गोया चराग़ मुफ़लिस
का
आँख बे-इख़्तियार भर आई
द्विजेन्द्र द्विज
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