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मुझे अधिक संगत प्रतीत होती है ।
तब भी, यह जानते हुए भी कि हम एकप्राण थे—
भले एक शरीर में या दो में, मुझे शान्ति नहीं मिल पाती ।,
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल'''
</poem>
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