अतुल अजनबी का पहला ग़ज़ल संग्रह "शजर मिज़ाज" (नागरी) 2005 में शिल्पायन प्रकाशन दिल्ली से आया जिसने ग़ज़ल से मुहब्बत करने वालों को एक नायाब तोहफा दिया। उनका दूसरा मज़्मुआ- ए- क़लाम उर्दू में "बरवक़्त " 2010 में मंज़रे -आम पे आया। शजर (पेड़) के मिज़ाज को अतुल ने बड़ी गहराई से समझा और दरख़्त को अपना मौज़ूं और प्रतीक बना के ख़ूबसूरत शे'र कहे
http://books.google.co.in/books?id=ehNH9mWwFyEC&pg=PA112&lpg=PA112&dq=%E0%A4%85%E0%A4%A4%E0%A5%81%E0%A4%B2+%E0%A4%85%E0%A4%9C%E0%A4%A8%E0%A4%AC%E0%A5%80&source=bl&ots=P1ucL2ShRK&sig=mI2hW2nMg8T4JeLBCQpCVOTx-l4&hl=en&sa=X&ei=4cEKUNeuCcjOrQeblKTICA&ved=0CGsQ6AEwCA#v=onepage&q=%E0%A4%85%E0%A4%A4%E0%A5%81%E0%A4%B2%20%E0%A4%85%E0%A4%9C%E0%A4%A8%E0%A4%AC%E0%A5%80&f=false