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मदर इंडिया / गीत चतुर्वेदी

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|रचनाकार=गीत चतुर्वेदी
|संग्रह=आलाप में गिरह / गीत चतुर्वेदी
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'''[उन दो औरतों के लिए जिन्होंने कुछ दिनों तक शहर को डुबो दिया था]'''
दरवाज़ा खोलते ही झुलस जाएँ आप शर्म की गर्मास से
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