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उसूलों पे जहाँ आँच आये / वसीम बरेलवी
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04:46, 5 अगस्त 2012
कहाँ से बच के चलना है कहाँ जाना ज़रूरी है
थके हारे परिन्दे जब बसेरे के लिये
लौटे
लौटें
सलीक़ामन्द शाख़ों का लचक जाना ज़रूरी है
द्विजेन्द्र द्विज
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