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अपने हर लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा / वसीम बरेलवी
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11:06, 7 अगस्त 2012
<poem>
अपने हर
इक
लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा
उसको छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा
Thevoyager
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