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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=आयु बनी प्रस्तावना / गुलाब खंडेलवाल
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[[Category:गीत]]
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जी करता है आँखें मूँदूँ
तुमको इन बाँहों में कस कर तम के अतल जलधि में कूदूँ

मन का सूत्र भले खो जाये
मन का तार नहीं टूटेगा
प्रिये! हमारे मुग्ध क्षणों का
यह संसार नहीं छूटेगा
मिट न सकेगा प्रेम हमारा चिर-विस्मृति का तट भी छू दूँ

चिर-वियोग का क्षण जीवन का
सबसे कठिन समय होता है
किन्तु तुम्हारे भुजपाशों में
वह कितना मधुमय होता है
तुम मुझको अपना आँचल दो, मैं तुमको अपने आँसू दूँ

जी करता है आँखें मूँदूँ
तुमको इन बाँहों में कस कर तम के अतल जलधि में कूदूँ
<poem>
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