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'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मजाज़ लखनवी |संग्रह= <poem> जिगर और दि...' के साथ नया पन्ना बनाया
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{{KKRachna
|रचनाकार=मजाज़ लखनवी
|संग्रह=
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जिगर और दिल को बचाना भी है
नज़र आप ही से मिलाना भी है

महब्बत का हर भेद पाना भी है
मगर अपना दामन बचाना भी है

ये दुनिया ये उक़्बा कहाँ जाइये
कहीं अह्ले -दिल का ठिकाना भी है?

मुझे आज साहिल पे रोने भी दो
कि तूफ़ान में मुस्कुराना भी है

ज़माने से आगे तो बढ़िये ‘मजाज़’
ज़माने को आगे बढ़ाना भी है

</poem>