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परिताप / कविता वाचक्नवी

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वर्तनी सुधार
}}
ढूंढता ''''''परिताप''''''   ढूँढता है ठौर
यह दोने धरा
उस किनारे पर
मचलती आंधियाँआँधियाँ, तूफान, बरखा बरखा के बवण्डर,
बीच का विस्तार
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