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पहुँचा हुजूर-ए-शाह हर एक रंग का फ़कीर / ‘शुजाअ’ खावर
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11:45, 7 अक्टूबर 2012
मंदर्जा जेल लफ्जों के मानी तालाश कर
दर्वेव्श
दरवेश
, मस्त, सूफी, कलंदर, गदा, फकीर
हम कुछ नहीं थे शहर में, इसका मलाल है
द्विजेन्द्र द्विज
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