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बोलिए तौ तब जब / सुंदरदास

7 bytes removed, 11:56, 11 अक्टूबर 2012
<poem>
बोलिए तौ तब जब बोलिबे की बुद्धि होय,
 
ना तौ मुख मौन गहि चुप होय रहिए.
 
जोरिए तो तब जब जोरिबे को रीति जाने,
 
तुक छंद अरथ अनूप जामे लहिए .
 
गाईए तो तब जब गाईबे को कंठ होय ,
 
श्रवन के सुनितहिं मनै जमे गहिए .
 
तुकभंग, छंदभंग, अरथ मिलै न कछु,
 
सुंदर कहत ऐसी बानी नहिं कहिए .
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