स्याम कौं इक तुहीं जान्यौ, दुराचारिनि और ।
जैसें घटपूरन न डोलै, अघ भरौ डगडौर ॥
साँची प्रीति जानि मनमोहत, तेरेहिं हाथ बिकाने ॥
हम अपराध कियौ कहि तुमसौं, हमहीं कुलटा नारि ।
तुमसौं तुमसौं उनसौं बीच नहीं कछु, तुम दोऊ बर-नारि ॥
धन्य सुहाग भाग है तेरौ, धनि बड़भागी स्याम ।