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राधा का अनुराग / सूरदास
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13:13, 9 अक्टूबर 2007
कब री मिले स्याम नहिं जानौं ।
तेरी सौं करि कहति सखी री, अजहूँ नहिं पहिचानौं ॥
Pratishtha
KKSahayogi,
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