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बनारस में पिंडदान / लीना मल्होत्रा
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06:31, 8 नवम्बर 2012
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घाट जब
मंत्रो
मंत्रों
की भीनी मदिरा पीकर बेहोश हो जाते हैं
तब भी जागती रहती हैं घाट की सीढियाँ
गंगा ख़ामोश नावों में भर-भर के लाती हैं पुरखे
अनिल जनविजय
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