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घाट जब मंत्रो मंत्रों की भीनी मदिरा पीकर बेहोश हो जाते हैं
तब भी जागती रहती हैं घाट की सीढियाँ
गंगा ख़ामोश नावों में भर-भर के लाती हैं पुरखे
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