Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मयंक अवस्थी |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <poem> म...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मयंक अवस्थी
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>


मेरे आगे बड़ी मुश्किल खड़ी है
मेरी शुहरत मेरे कद से बड़ी है

कए सदियों से उसकी मुंतज़िर थी
पर अब नर्गिस फ़फक कर रो पड़ी है

हवाओं में जो चिंगारी थी अब तक
वो अब जंगल के दिल में जा पड़ी है

कोई आतिशफिशाँ है दिल में मेरे
बज़ाहिर लब पे कोई फुलझड़ी है

तेरा जूता सभी सीधा करेंगे
तेरे जूते में चाँदी जो जड़ी है

उधर इक दर इधर इस घर की इज़्ज़त
अभी दहलीज़ पे लड़की खड़ी है

मयंक आवारगी की लाज रखना
तुम्हारी ताक में मंज़िल खड़ी है
</poem>