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|रचनाकार=Manish Kumarअल्लामा इक़बाल
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वो बाग़ की बहारें वो सब क चह-चहाना
आज़ादियाँ कहाँ वो अब अपने घोँसले घोसले की
अपनी ख़ुशी से आना अपनी ख़ुशी से जाना
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