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प्रकृति बदलती छण-छण देखो,<br>बदल रहे अणु, कण-कण देखो|<br>तुम निष्क्रिय से पड़े हुए हो |<br>भाग्य वाद पर अड़े हुए हो|<br><br>छोड़ो मित्र ! पुरानी डफली,<br>जीवन में परिवर्तन लाओ |<br>परंपरा से ऊंचे उठ कर,<br>कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ |<br><br>जब तक घर मे धन संपति हो,<br>बने रहो प्रिय आज्ञाकारी |<br>पढो, लिखो, शादी करवा लो ,<br>फिर मानो यह बात हमारी |<br><br>माता पिता से काट कनेक्शन,<br>अपना दड़बा अलग बसाओ |<br>कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ |<br><br>करो प्रार्थना, हे प्रभु हमको,<br>पैसे की है सख़्त ज़रूरत |<br>अर्थ समस्या हल हो जाए, <br>शीघ्र निकालो ऐसी सूरत |<br><br>हिन्दी के हिमायती बन कर,<br>संस्थाओं से नेह जोड़िये |<br>किंतु आपसी बातचीत में,<br>अंग्रेजी की टांग तोड़िये |<br><br>इसे प्रयोगवाद कहते हैं,<br>समझो गहराई में जाओ |<br>कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ |<br><br>कवि बनने की इच्छा हो तो,<br>यह भी कला बहुत मामूली |<br>नुस्खा बतलाता हूँ, लिख लो,<br>कविता क्या है, गाजर मूली |<br><br>कोश खोल कर रख लो आगे, <br>क्लिष्ट शब्द उसमें से चुन लो|<br>उन शब्दों का जाल बिछा कर,<br>चाहो जैसी कविता बुन लो |<br><br>श्रोता जिसका अर्थ समझ लें,<br>वह तो तुकबंदी है भाई |<br>जिसे स्वयं कवि समझ न पाए,<br> वह कविता है सबसे हाई |<br><br>इसी युक्ती से बनो महाकवि,<br>उसे "नई कविता" बतलाओ |<br>कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ |<br><br>चलते चलते मेन रोड पर,<br>फिल्मी गाने गा सकते हो |<br>चौराहे पर खड़े खड़े तुम, <br>चाट पकोड़ी खा सकते हो |<br><br>बड़े चलो उन्नति के पथ पर,<br>रोक सके किस का बल बूता?<br>यों प्रसिद्ध हो जाओ जैसे, <br>भारत में बाटा का जूता |<br><br>नई सभ्यता, नई संस्कृति,<br>के नित चमत्कार दिखलाओ |<br>कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ | <br><br>पिकनिक का जब मूड बने तो,<br>ताजमहल पर जा सकते हो |<br>शरद-पूर्णिमा दिखलाने को,<br>'उन्हें' साथ ले जा सकते हो |<br><br>वे देखें जिस समय चंद्रमा,<br>तब तुम निरखो सुघर चाँदनी |<br>फिर दोनों मिल कर के गाओ, <br>मधुर स्वरों में मधुर रागिनी |<br>( तू मेरा चाँद मैं तेरी चाँदनी ..)<br><br>आलू छोला, कोका-कोला, <br>'उनका' भोग लगा कर पाओ |<br>कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ|<br><br>
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