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उन निगाहों का मोरचा टूटा / ‘अना’ क़ासमी
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|रचनाकार='अना' क़ासमी|संग्रह=मीठी सी चुभन / 'अना' क़ासमी
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उन निगाहों का मोरचा टूटा
क़सरे<refकिला</ref> दिल का मुहासरा टूटा
कुछ सलामत नहीं था दुनिया में
वीरेन्द्र खरे अकेला
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