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00:31, 16 मई 2013 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नीरज दइया
|संग्रह=उचटी हुई नींद / नीरज दइया
}}
{{KKCatKavita}}<poem>रंगीन तितलियों-सी
आती है कविताएं
देखने में उन्हें
खो जाता हूं मैं
और इस अहसास को
एक स्मृति के रूप में
बस लिख देता हूं.....
कागज पर
शब्दों के सहारे
कभी-कभी!</poem>
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