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गुड़िया-2 / नीरज दइया

117 bytes added, 00:52, 16 मई 2013
|संग्रह=उचटी हुई नींद / नीरज दइया
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{{KKCatKavita‎}}<poem>जिंदा रहती हैमेरा चूमना लड़की में गुड़ियाऔर तुम्हाराखुद को यूं हवाले कर देना।
जिंदा रहती हैमेरा गले लगानाऔरत में लड़कीऔर तुम्हाराखुद को बेसहाराछोड़ देना।
अंत प्यारा में वह गुड़ियातुमक्यों बन जाती है बुढ़िया हो निर्जीव! </poem>
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